स्व. मास्टर झूथालाल जी जारवाल

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स्व. मास्टर झूथालाल जी जारवाल
(1903-1973)

प्रदेशीपुरा, ईन्दौर निवासी अखिल भारतीय बैरवा महासभा के प्रथम राष्ट्रीय अध्यक्ष सन 1946 से 1968 तक रहे। आप बैरवा समाज के लौह-पुरूष रहे है। और हजारों लोगों को सुतमिलों में लगाकर उनका आर्थिक उत्थान किया है। आपने समाज पर होने वाले अत्याचारो के विरूद्ध कठोर संघर्ष किया जिसके लिए बैरवा समाज अपका सदेव ऋणी रहेगा।

प्रत्येक जाति धर्म और देश में यदा-कदा महान विभूतियों का उदय होता आया है। वे अपने जीवनकाल में कुछ ऐसे कार्य कर जाते है, जिनके कारण हम सदियों तक उनका नाम बडी ही श्रद्धा से लेते है। जो हमें नई दिशाओं का नया ज्ञान, विज्ञान से हमारे जीवन को गोरव प्रदान करते रहे है।

हिन्दू जाति के लोगो द्वारा दलितों को सदियों से प्रताडित किया गया हैं, तथा वर्तमान अनुसूचित जातियों व जनजातियों को जिन यातनाओं का सामना करना पडा हैं। वे अव्यक्त है। हमारी कई महान विभूतियों में भगवान बालीनाथ जी के जीवन संघर्ष से हम भली-भांति जान सकते हैं कि मानव ने मानव पे कितने अत्याचार किये हैं।

बैरवा जाति के परिवार में मास्टर झूथालाल जी जारवाल पुत्र श्री बिरदी चन्द का जन्म 17.08.1903 जयपुर के जयसिंहपुरा ग्राम में हुआ। आप इंदौर की सुत मील में कार्य करते हुए आपके घर पर सत्संग का आयोजन करके लोगों का इकटठे कर एकता की शिक्षा देते थे।

आप हमेंशा गरीब किशानों को नई दिशा देने एवं मध्यवर्गीय समाज के उत्थान के लिये सोचते रहते थे और निर्णय लेते थे कि हमारे समाज में फेली रूढिवादिता को कैसे दूर किया जाये। आपने दिन रात अपने विचारों में खोकर मंथन करके सत्संग के माध्यम से गरीब वर्गाे के विवेक में प्रेम की ज्योति जगाई, जो समाज सुधार में काफी प्रभावशाली रही।

आपने समाज में सम्मेलनों का आयोजन कर आध्यात्मिक ज्ञान से गरीब कृषकों में उच्च मानवीय गुणों का विकास का प्रारम्भ किया, जिससे मध्यवर्गीय किसानों की शक्ति बढ गई। आपने समाज को जुल्मों एवं अत्याचारों के तांडव और सवर्ण जाति के पतिबन्धो से मुक्ति दिलाने हेतु पुरे भारत में एकता व धर्म निरपेक्षता का संचार किया हैं। उनके लिए समाज सदैव ही आभारी रहेगा।